आज एक आधुनिक कवि श्री शिव ओम अंबर जी की एक हिन्दी गजल शेयर कर रहा हूँ| आशा है आपको इस गजल का कथ्य और इसकी बेबाकी प्रभावित करेगी|

लीजिए प्रस्तुत है यह ग़ज़ल-
जो किसी का बुरा नहीं होता,
शख़्स ऐसा भला नहीं होता।
दोस्त से ही शिकायतें होंगी,
दुश्मनों से गिला नहीं होता।
हर परिन्दा स्वयं बनाता है,
अर्श पे रास्ता नहीं होता।
इश्क के क़ायदे नहीं होते,
दर्द का फलसफा नहीं होता।
ख़त लिखोगे हमें कहाँ आखि़र,
जोगियों का पता नहीं होता।
आज के लिए इतना ही
नमस्कार|
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हर परिन्दा स्वयं बनाता है,
अर्श पे रास्ता नहीं होता।
Beautiful creation..
Thanks a lot ji.
Bht sunder
Thanks a lot ji.