वक़्त भी क्या-क्या चालें चलता है, आज तो देश और दुनिया के लिए मानो परीक्षा की घड़ी है| वक़्त की इस चाल की चिंता तो हम सभी को करनी है और करनी भी पड़ेगी, लेकिन यहाँ मैं इससे अलग जाते हुए नायिका की चाल, चालबाजी नहीं जी, सिर्फ ‘चाल’, उसके चलने के अंदाज़ के बारे में बात करूंगा, क्योंकि कवि-शायर तो उसकी हर अदा पर कुर्बान जाते हैं, जिसमें ‘चाल’ भी शामिल है|

हालांकि पाक़ीज़ा फिल्म में तो राजकुमार नायिका की चाल पर पाबंदी लगा देना चाहते हैं, जब वो ट्रेन में सोती हुई नायिका देखकर कहते हैं- ‘आपके पाँव बहुत सुंदर हैं, इन्हें ज़मीन पर मत उतारना’!
खैर चाल के बारे में बात भी मैं अपने प्रिय गायक मुकेश जी की गाई गीत पंक्तियों के साथ करूंगा-
तौबा ये मतवाली चाल,
झुक जाए फूलों की डाल, चांद और सूरज आकर मांगें
तुझसे रंग-ओ-जमाल,
हसीना तेरी मिसाल कहाँ|
मुकेश जी की आवाज में ही एक और गीत की पंक्तियाँ याद आ रही हैं, जिसे नीरज जी ने लिखा है-
चाल ऐसी है मदहोश मस्ती भरी,
नींद सूरज-सितारों को आने लगे,
इतने नाज़ुक क़दम चूम पाएँ अगर,
सोते-सोते बियाबान गाने लगें,
मत महावर रचाओ बहुत पाँव में,
फर्श का मर्मरी दिल दहल जाएगा|
अब क्या करूं फिर से मुकेश जी का ही गाया एक और गीत याद आ रहा है-
गोरी तेरे चलने पे, मेरा दिल कुर्बां,
तेरा चलना, तेरा रुकना, तेरा मुड़ना तौबा,
मेरा दिल कुर्बां|
लीजिए एक और गीत याद आ रहा है ‘चाल’ पर-
ठुमक-ठुमक मत चलो, हाँ जी मत चलो,
किसी का दिल धड़केगा,
मंद-मंद मत हंसो, हाँ जी मत हंसो,
कोई प्यासा भटकेगा|
वैसे जब नायिका की गलियों की तरफ नायक जाता है, तब उसकी चाल भी कुछ अलग ही होती है न-
चल मेरे दिल, लहरा के चल,
मौसम भी है, वादा भी है|
उसकी गली का फासला,
थोड़ा भी है, ज्यादा भी है|
अब इसके बाद क्या कहूँ, एक गीत की पंक्तियाँ फिलहाल याद आ रही हैं-
हम चल रहे थे, तुम चल रहे थे,
मगर दुनिया वालों के दिल जल रहे थे|
तो भाई मेरे जलने की कोई बात नहीं है, सब चलते रहें, ये दुनिया भी चलती रहे और सब खुश रहें|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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Very nice and interesting
Thanks Nalini Ji.
How r u sir?
I am fine how are you?
I’m good sir, take care 🙂