
दश्त-ए-तन्हाई ए हिजरा में खड़ा सोचता हूं,
हाय क्या लोग मेरा साथ निभाने निकले|
अमजद इस्लाम अमजद
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दश्त-ए-तन्हाई ए हिजरा में खड़ा सोचता हूं,
हाय क्या लोग मेरा साथ निभाने निकले|
अमजद इस्लाम अमजद