
कू -ए- क़ातिल में चले जैसे शहीदों का जुलूस,
ख़्वाब यूं भीगती आँखों को सजाने निकले|
अमजद इस्लाम अमजद
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कू -ए- क़ातिल में चले जैसे शहीदों का जुलूस,
ख़्वाब यूं भीगती आँखों को सजाने निकले|
अमजद इस्लाम अमजद
वाह, बहुत सुन्दर |
बहुत बहुत धन्यवाद जी।