
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है,
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है,
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है|
बशीर बद्र
बहुत खुबसूरत |
बहुत बहुत धन्यवाद जी।