
इक अजनबी झोंके ने जब पूछा मेरे ग़म का सबब
सहरा की भीगी रेत पर मैंने लिखा आवारगी।
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इक अजनबी झोंके ने जब पूछा मेरे ग़म का सबब
सहरा की भीगी रेत पर मैंने लिखा आवारगी।
मोहसिन नक़वी