
बढ़ा के प्यास मेरी, उसने हाथ छोड़ दिया,
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह।
क़तील शिफाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बढ़ा के प्यास मेरी, उसने हाथ छोड़ दिया,
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह।
क़तील शिफाई