
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना,
क़ुबूल हमने किया जिसका गम खुशी की तरह।
क़तील शिफाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना,
क़ुबूल हमने किया जिसका गम खुशी की तरह।
क़तील शिफाई
वाह वाह..
बहुत बहुत धन्यवाद जी।