दीपावली के सुअवसर पर आज मैं बिना किसी भूमिका के हिन्दी गीतों के राजकुंवर कहलाने वाले स्वर्गीय गोपाल दास ‘नीरज’ जी का एक गीत शेयर कर रहा हूँ|
ईश्वर करें कि यह दीपावली हम सभी के जीवन में नई रोशनी लेकर ये और एक जागरूक व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के रूप में हम सभी सफलता की नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करें|
लीजिए आज प्रस्तुत है, स्वर्गीय नीरज जी का यह गीत-

जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना,
अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए|
नई ज्योति के धर नये पंख झिलमिल,
उड़े मर्त्य मिट्टी गगन-स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण-द्वार जगमग,
उषा जा न पाए, निशा आ ना पाए।
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल यों ही,
भले ही दिवाली यहां रोज आए।
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए
मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ़ जग में,
नहीं मिट सका है धरा का अंधेरा,
उतर क्यों न आएं नखत सब नयन के,
नहीं कर सकेंगे हृदय में उजेरा,
कटेंगे तभी यह अंधेरे घिरे जब
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार
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Happy Diwali !!
Very Happy Diwali to you too.
Happy Diwali uncle
Happy Deepawali ji.
Happy Diwali
Happy Diwali ji.