
आज मैं मुकेश जी और लता जी का गाया एक युगल गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ, यह गीत 1971 में रिलीज हुई फिल्म- पारस के लिए लता जी और मुकेश जी ने कल्याणजी-आनन्दजी के संगीत निर्देशन में गाया था और इसे लिखा था इंदीवर जी ने| यह रोमांटिक गीत आज भी श्रोताओं को अपनी मधुरता से बांध लेता है|
लीजिए प्रस्तुत हैं इस मधुर प्रेम गीत के बोल-
तेरे होंठों के दो फूल प्यारे प्यारे
मेरे प्यार की बहारों के नज़ारे
अब मुझे चमन से क्या लेना, क्या लेना|
तेरी आँखों के दो तारे प्यारे प्यारे
मेरी रातों के चमकते सितारे
अब मुझे गगन से क्या लेना, क्या लेना|
तेरी काया कंचन कंचन, किरणों का है जिसमें बसेरा
तेरी साँसें महकी महकी, तेरी ज़ुल्फों में खुशबू का डेरा
तेरा महके अंग अंग, जैसे सोने में सुगंध
मुझे चंदनबन से क्या लेना, क्या लेना|
मैने देखा जबसे तुझको मेरे सपने हुये सिंदूरी
तुझे पा के मेरे जीवनधन, हर कमी हुई मेरी पूरी
पिया एक तेरा प्यार, मेरे सोलह सिंगार
मुझे अब दर्पन से क्या लेना, क्या लेना|
तेरा मुखड़ा दमके चमके, जैसे सागर पे चमके सवेरा
तेरी बाँहें प्यार के झूले, तेरी बाँहों में झूले मन मेरा
तेरी मीठी हर बात, रस की है बरसात
हमें अब सावन से क्या लेना, क्या लेना
हमें क्या लेना, क्या लेना|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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