
मुझे पता है किसे इंतज़ार कहते हैं,
कि मैंने देखा है लम्हात को ठहरते हुए।
मिलाप चंद राही
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुझे पता है किसे इंतज़ार कहते हैं,
कि मैंने देखा है लम्हात को ठहरते हुए।
मिलाप चंद राही