
रवां-दवां थी, सियासत में रंग भरते हुए,
लरज़ गई है ज़ुबां, दिल की बात करते हुए।
मिलाप चंद राही
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रवां-दवां थी, सियासत में रंग भरते हुए,
लरज़ गई है ज़ुबां, दिल की बात करते हुए।
मिलाप चंद राही