
नजर-नवाज़ वो अठखेलियां कहाँ राही,
चले है बाद-ए-सबा अब तो गुल कतरते हुए।
मिलाप चंद राही
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नजर-नवाज़ वो अठखेलियां कहाँ राही,
चले है बाद-ए-सबा अब तो गुल कतरते हुए।
मिलाप चंद राही