
सब कुछ तो है, क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता |
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सब कुछ तो है, क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता |
निदा फ़ाज़ली