
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा,
मगर वो आंखें हमारी कहां से लाएगा|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा,
मगर वो आंखें हमारी कहां से लाएगा|
बशीर बद्र