
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकां तन्हा|
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकां तन्हा|
मीना कुमारी (महज़बीं बानो)