
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए|
दुष्यंत कुमार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए|
दुष्यंत कुमार
वाह, बहुत सुन्दर |
बहुत बहुत धन्यवाद जी।