
हो सके तो चल किसी की आरजू के साथ-साथ,
मुस्कराती ज़िंदगी पर मौत का मंतर न फेंक|
कुंवर बेचैन
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हो सके तो चल किसी की आरजू के साथ-साथ,
मुस्कराती ज़िंदगी पर मौत का मंतर न फेंक|
कुंवर बेचैन