
कल वहाँ चांद उगा करते थे हर आहट पर
अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता है|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कल वहाँ चांद उगा करते थे हर आहट पर
अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता है|
राहत इन्दौरी