
कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में
और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूं |
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में
और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूं |
राहत इन्दौरी
बहुत अच्छा |
बहुत बहुत धन्यवाद जी।