
मेज़ पर ताश के पत्तों-सी सजी है दुनिया,
कोई खोने के लिए है कोई पाने के लिए|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मेज़ पर ताश के पत्तों-सी सजी है दुनिया,
कोई खोने के लिए है कोई पाने के लिए|
निदा फ़ाज़ली