
यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम,
ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम,
ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए|
निदा फ़ाज़ली