
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए|
दुष्यंत कुमार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए|
दुष्यंत कुमार