
कल की बात और है मैं अब सा रहूँ या न रहूँ,
जितना जी चाहे तेरा आज सता ले मुझको|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कल की बात और है मैं अब सा रहूँ या न रहूँ,
जितना जी चाहे तेरा आज सता ले मुझको|
क़तील शिफ़ाई