
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’