
राशिद किसे सुनाते गली में तेरी गज़ल,
उसके मकां का कोई दरीचा खुला न था।
मुमताज़ राशिद
आसमान धुनिए के छप्पर सा
राशिद किसे सुनाते गली में तेरी गज़ल,
उसके मकां का कोई दरीचा खुला न था।
मुमताज़ राशिद