
बांट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गई|
फटे पुराने इक अलबम में, चंचल लड़की जैसी मां|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बांट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गई|
फटे पुराने इक अलबम में, चंचल लड़की जैसी मां|
निदा फ़ाज़ली