
चिड़ियों के चहकार में गूंजे, राधा-मोहन अली-अली|
मुर्ग़े की आवाज़ से खुलती, घर की कुंडी जैसी मां |
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
चिड़ियों के चहकार में गूंजे, राधा-मोहन अली-अली|
मुर्ग़े की आवाज़ से खुलती, घर की कुंडी जैसी मां |
निदा फ़ाज़ली