
इक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का,
इक वो दिन जब एक ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं|
जावेद अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का,
इक वो दिन जब एक ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं|
जावेद अख़्तर