
कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएं मगर,
जंगल तेरे, पर्वत तेरे, बस्ती तेरी, सहरा तेरा।
इब्ने इंशा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएं मगर,
जंगल तेरे, पर्वत तेरे, बस्ती तेरी, सहरा तेरा।
इब्ने इंशा
बहुत सुन्दर |
हार्दिक धन्यवाद जी।