
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़