
तेरी अंगड़ाइयों से मिली, ज़ेहन-ओ- दिल को नई रोशनी,
तेरे जलवों से मेरी नज़र, किस तरह खेलना छोड़ दे|
हसन काज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तेरी अंगड़ाइयों से मिली, ज़ेहन-ओ- दिल को नई रोशनी,
तेरे जलवों से मेरी नज़र, किस तरह खेलना छोड़ दे|
हसन काज़मी