
तेरी आँखों से छलकी हुई, जो भी इक बार पी ले अगर,
फिर वो मैख़ार ऐ साक़िया, जाम ही मांगना छोड़ दे|
हसन काज़मी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तेरी आँखों से छलकी हुई, जो भी इक बार पी ले अगर,
फिर वो मैख़ार ऐ साक़िया, जाम ही मांगना छोड़ दे|
हसन काज़मी
Wah, bahot khoob.
हार्दिक धन्यवाद जी।