
ये मेरे घर की उदासी है और कुछ भी नहीं,
दिया जलाये जो दर पर मेरी तलाश में है|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ये मेरे घर की उदासी है और कुछ भी नहीं,
दिया जलाये जो दर पर मेरी तलाश में है|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’