
बस एक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है,
जो रोज़ भेस बदल कर मेरी तलाश में है|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बस एक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है,
जो रोज़ भेस बदल कर मेरी तलाश में है|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’