
गुनगुनाते हुए और आ कभी उन सीनों में,
तेरी खातिर जो महकते हैं शिवालों की तरह|
जां निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
गुनगुनाते हुए और आ कभी उन सीनों में,
तेरी खातिर जो महकते हैं शिवालों की तरह|
जां निसार अख़्तर