
और तो मुझ को मिला क्या मेरी मेहनत का सिला,
चंद सिक्के हैं मेरे हाथ में छालों की तरह|
जां निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
और तो मुझ को मिला क्या मेरी मेहनत का सिला,
चंद सिक्के हैं मेरे हाथ में छालों की तरह|
जां निसार अख़्तर