
मुझसे नजरे तो मिलाओ कि हजारों चेहरे,
मेरी आंखों में सुलगते हैं सवालों की तरह|
जां निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुझसे नजरे तो मिलाओ कि हजारों चेहरे,
मेरी आंखों में सुलगते हैं सवालों की तरह|
जां निसार अख़्तर