
नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए,
कहां से बच के चलना है कहां जाना ज़रूरी है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए,
कहां से बच के चलना है कहां जाना ज़रूरी है|
वसीम बरेलवी