
अपने हर एक लफ़्ज़ का खुद आईना हो जाऊंगा,
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अपने हर एक लफ़्ज़ का खुद आईना हो जाऊंगा,
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा|
वसीम बरेलवी