
सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का,
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का,
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है|
वसीम बरेलवी