
थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें,
सलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें,
सलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है|
वसीम बरेलवी