
ये जरूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो,
प्यार के ज़ख्म अमानत हैं दिखाया न करो|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ये जरूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो,
प्यार के ज़ख्म अमानत हैं दिखाया न करो|
मोहसिन नक़वी