
मेरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जान ओ ईमां हैं,
निगाहें मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मेरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जान ओ ईमां हैं,
निगाहें मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं|
फ़िराक़ गोरखपुरी