
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी,
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक|
कुंवर बेचैन
आसमान धुनिए के छप्पर सा
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी,
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक|
कुंवर बेचैन