
हम तुम्हारे हैं ‘कुँअर’ उसने कहा था इक दिन,
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक|
कुंवर बेचैन
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हम तुम्हारे हैं ‘कुँअर’ उसने कहा था इक दिन,
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक|
कुंवर बेचैन