
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के,
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो|
अहमद फ़राज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के,
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो|
अहमद फ़राज़