
हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे,
ये ज़िन्दगी तो कोई बद-दुआ लगे है मुझे|
जां निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे,
ये ज़िन्दगी तो कोई बद-दुआ लगे है मुझे|
जां निसार अख़्तर