
मैं सोचता था कि लौटूंगा अजनबी की तरह,
ये मेरा गांव तो पहचाना सा लगे है मुझे|
जां निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं सोचता था कि लौटूंगा अजनबी की तरह,
ये मेरा गांव तो पहचाना सा लगे है मुझे|
जां निसार अख़्तर