
मेरी मुठ्ठी में सूखे हुए फूल हैं,
ख़ुशबुओं को उड़ाकर हवा ले गई|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मेरी मुठ्ठी में सूखे हुए फूल हैं,
ख़ुशबुओं को उड़ाकर हवा ले गई|
बशीर बद्र